सोने की लंका के निर्माण की पौराणिक कथा सोने की लंका त्रिकुटाचल के पर्वत पर बनाई गई थी। त्रिकुटाचल दो शब्दों से बना हुआ अक्षर है, जिसमे त्रि...
सोने की लंका के निर्माण की पौराणिक कथा सोने की लंका त्रिकुटाचल के पर्वत पर बनाई गई थी। त्रिकुटाचल दो शब्दों से बना हुआ अक्षर है, जिसमे त्रि यानि तीन तथा अकुटाचल का मतलब होता है पर्वत। इस तरह तीन पर्वतो के श्रृंखलाओं पर भव्य लंका स्थित थी।
सोने की लंका किसने बनाई थी ?
सोने की लंका का इतिहास पौराणिक कथा के अनुसार भगवन शिव ने माता पार्वती के रहने के लिए एक सुन्दर स्वर्ण के महल का निर्माण करने का कार्य स्वर्ग के देवशिल्पी विष्वकर्मा को सौपा था और इस महल का निर्माण त्रिकुटाचल पर्वत पर हुआ था। कुछ ही दिनों में विष्वकर्मा ने एक बहुत अद्भुत एवं भव्य महल का निर्माण कर दिया जो सोने की लंका के नाम से प्रसिद्ध हुए। महादेव शिव को महल के गृहप्रवेश के लिया महापंडित को बुलाना था। इसलिए उन्होंने महाज्ञानी रावण को आमंत्रित किया, जिसने गृहप्रवेश की विधि संपन्न की।
सोने की लंका कहा है ?
रावण ने शिवजी से दक्षिणा के रूप में सोने की लंका ही मांग ली थी। रामायण का युद्ध त्रिकुटाचल के पहले पर्वत जिसका नाम सुबेल था वहां सम्पन्न हुआ था, दूसरे पर्वत का नाम नील था जहां पर सोने की लंका का मुख्य भाग था तथा तीसरे एवं अंतिम सुन्दर पर्वत पर अशोक वाटिका बनाए गई थी जहा पर माता सीता को रावण ने कैद किया था और हनुमान जी की माता सीता से पहली भेट हुई थी।
COMMENTS